Dhakar
The Dhakar (also known as Dhakad or Dhaker or Rajput or Kirar)[1] are a community in India and they rose to prominence during the 6th to 12th centuries.
धाकड़’ ठाकुर जाति की उपजाति है या क्षत्रिय वंशजों में से बने हुए एक समूह का नाम है। राजपुताना प्रांत बनने से पूर्व ‘धरकड़ ठाकुर’ एवं ‘’राजपूत ठाकुर’’ के समूह थे, बाद में ये दोनों समूह पृथक-पृथक जातियों में विभाजित हो गये।
महराजा बीसलदेव द्वारा संवत् 1140 के लगभग (महमूद गजनवी के अजमेर आक्रमण के बाद) समस्तज धौर, धवल, सामंती राजाओं आदि की आमसभा आयोजित की थी, जिसमें कृषक क्षत्रिय अधिक संख्या में उपस्थित थे, उस समय इस समूह का नाम बीसलदेव (विग्रह राज) द्वारा धरकर या धरकड़ रखा गया था आगे चलकर धरकड़ का अपभ्रंश धाकर-धाकड़ हो गया। श्री केसरी सिंह राठौर (धाकड़) बयाना (राज.) द्वारा सन्धि विच्छेद इस प्रकार किया गया है –
धरकर – धरकट – धरकड़ – धाकर – धाकड़
धर – धरती, भूमि कट – काटना, जोतना अर्थात भूमि स्वाकमी (कृषक) भूमि को जोतने वाला। ‘’धाकड़’’ – रौब, अड़-अड़ना, हटी।
शाब्दिक अर्थानुसार रौब, हठ एवं गर्व के साथ रहने वाला वयक्ति धाकड़ कहलाता है।
ऐतिहासिक तथ्यों एवं पोथियों के विलेखों से इतना तो निर्विवाद है कि धाकड़ जाति की उत्पत्ति स्थाान राजस्थांन का मेवाड़ क्षेत्र है।
कृषि व्यवसाय को अपनाकर वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर बसते रहे। विशेष का भी नामकरण पर प्रभाव पड़ा जैसे – जो समूह नागर चाल – बुंदी की सीमा व नागौर में जाकर बसे वे ‘नागर’ कहलाये। मालवा में बसे ‘मालवी’ एवं पूर्व-उत्तगरांचल में जाकर बसे वे ‘किरार’ (किराड़) कहलाये।
धाकड़ जाति की विभिन्न शाखाएं राजस्थाेन, मध्यअप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, गुजरात, एवं महाराष्ट्र में फैली हुई है।
References
- ↑ Singh, Kumar Suresh (1998). People of India: Rajasthan, Volume 1. People of India: States series. 38. Popular Prakashan, for the Anthropological Survey of India. pp. 316–319. ISBN 978-81-7154-766-1. Retrieved 2012-03-26.